
वार्ड सदस्य बना बीपीएससी में आरक्षित कोटे से शिक्षक
बलिया, संजय कुमार तिवारी : यूपी पंचायत चुनाव में निर्विरोध रूप से निर्वाचित विकास खंड बैरिया के बलिहार पंचायत का वार्ड सदस्य अयोध्या कुमार यादव उर्फ शंकर यादव का चयन बीपीएससी tre 3.0 विज्ञापन 22/2024 में बिहार राज्य के भोजपुर जिले के अगिआंव प्रखण्ड के उच्च माध्यमिक विद्यालय बनकट में हिन्दी शिक्षक के रूप में हुआ। आपको बताते चलें कि अयोध्या कुमार यादव उर्फ शंकर यादव वर्ष 2021 में हुए पंचायत चुनाव में बलिहार पंचायत में निर्विरोध रूप से वार्ड सदस्य निर्वाचित किए गए जिन्होंने वर्ष 2025 के अप्रैल माह तक बलिहार पंचायत में बतौर वार्ड सदस्य एवं प्रधान प्रतिनिधि के रूप में कार्य किया।
प्रधान के रूप में चुने गए चंद्रशेखर सिंह(कमकर) लेकिन प्रधानी चलाए अयोध्या कुमार यादव उर्फ शंकर यादव। प्रधान पद जनता के लिए भले निर्वाचित किया जाता हो, लेकिन इनके लिए प्रधानी का कार्य करना पेशा या हांथ की सफाई बन गया। तभी तो वार्ड सदस्य जी अपनी इस हांथ की सफाई दिखाने पहुंच गए बिहार राज्य के बड़हरा प्रखण्ड के खवासपुर पंचायत मौहल्ला खखन के टोला और धड़ाधड़ पहले अपना वहां का फर्जी निवास बनवाया फिर निवास के आधार पर आधार कार्ड में पता बदलवाया फिर पैनकार्ड और फिर बीसी कैटेगरी में जाति प्रमाण पत्र भी जारी करवाकर बिहार शिक्षा विभाग को भी अपना कौशल दिखाने के लिए परीक्षा में बैठे और फिर शिक्षा विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों की मदद से बीसी कैटेगरी में प्रदेश में 5 वाँ स्थान पा लिया।
अयोध्या यादव को लगा हमने तो अब जग जीत लिया, फिर इन्होंने विचार किया कि अब पंचायत को ठगने में आनंद नहीं । अब तो शिक्षा विभाग को ठगा जाए और लग गए अपने काम में तभी इनके ऊपर फर्जी जाति-निवास के आधार पर नियुक्ति पाने की शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी भोजपुर बीइओ अगिआंव को मिली , फिर तो अयोध्या कुमार बौखला गए मेरी एक क्षत्र तानाशाही में किसने दखल दे दी। इन्होंने ने ठान लिया यदि इनकी नौकरी गई तो उसे जान से मार देंगे जिसने इन पर शिकायत की है लेकिन पहले तो जांच से निपटना था खैर यह तो इनके बाएं हांथ का खेल था ।
तत्काल इन्होंने सचिव, सरपंच, और मुखिया बनकर लागतार बंशावली, पंचायत स्तर का निवास और फिर जाति जारी करके अधिकारियों को यह विश्वास दिलाया कि अयोध्या कुमार यूपी के नहीं बल्कि बिहार के ही मूल निवासी हैं। फिर क्या था ये ठहरे हमारे यूपी के अयोध्या कुमार यादव इनके कहने के बाद अधिकारी इनसे कैसे सवाल खड़ा कर सकते थे भले ही शिकायत के साथ सक्षम अधिकारियों द्वारा जारी वैध प्रमाण पत्र सलग्न हो जो इनकी नियुक्ति फर्जी साबित करता हो।अधिकारियों ने मान लिया कि यही सच्चे अयोध्या कुमार हैं जो बड़हरा प्रखंड, पंचायत खवासपुर, मौहल्ला खखन के टोला के मूल निवासी और बीपीएससी के वैध बिहार के गौरव शिक्षक हैं और इस तरह वह शिकायत बंद कर दी गई ।
लेकिन शिकायतकर्ता भी इन्हीं के पीछे लगा हुआ था जैसे ही यह जानकारी हुई कि शिकायत ठंडे बस्ते में डाल दी गई शिकायतकर्ता ने फिर नोटरी शपथ के साथ शिकायत कर दिया फिर क्या था अधिकारियों का दिमाग घूम गया। इस लिए नहीं कि उन्हें शक हुआ कि यह अयोध्या कुमार फर्जी हैं, बल्कि इस लिए कि जिस फर्जी शिक्षक को बिहार का गौरव मान लिया गया हो उसे फर्जी कैसे कहा जाए। जिसे इन्होंने सही साबित कर दिया था अब उसे दुबारा किस योजना से सही साबित करें । फिर अधिकारियों ने एक खेल खेला तुम हमे पैसा दो हम तुम्हें सही साबित करते रहेंगे और फिर क्या था डीईओ भोजपुर के संरक्षण में यही खेल चलता रहा ।
शिकायतकर्ता शिकायत करता और अयोध्या कुमार पैसा बांटता इस तरह आज चार माह बाद बीत जाने के बाद भी जब शिकायत कर्ता को मामला समझ नहीं आया फिर हम जैसे मिडिया पत्रकारों और निगरानी विभाग के शरण में आकर न्याय की गुहार लगाया। शिकायतकर्ता का कहना है कि मैं तीन बार बीपीएससी शिक्षक की भर्ती परीक्षा में शामिल हुआ लेकिन हर बार 2-3 अंको से छंट गया जिसका मुख्य कारण है फर्जी अभ्यर्थन और नियुक्ति जिसके माध्यम हैं शिक्षा विभाग के वरिष्ठ कर्मचारी जो बड़ी रकम खाकर डकार भी नहीं लेते। अब देखना यह है कि शिक्षा विभाग अपनी अस्मत बचाता है या फिर 420 अयोध्या कुमार के हाथों की कठपुतली बनता है।